Sunday, August 27, 2017

जानिए आखिर कैसे और क्यों होता है ‘किन्नरों’ का जन्म

जानिए आखिर कैसे और क्यों होता है ‘किन्नरों’ का जन्म

हमारे समाज में ‘किन्नरों’ को बुरी नजर से देखा जाता रहा हैं, हालांकि अब इसमें परिवर्तन भी हो रहा है, तो वहीं ये भी मानते हैं कि एक बार अगर इन लोगों की दुआ लग जाए तो उसकी बरक्कत निश्चित है। क्या कभी आपने सोचा है कि इन लोगों का जन्म क्यों होता है, शायद नहीं सोचा होगा तो आज हम आप को बताएंगे की आखिर क्या कारण हैं एक ‘किन्नर’ के पैदा होने का।
जानिए आखिर कैसे और क्यों होता है ‘किन्नरों’ का जन्म
आप को बता दें कि व्यक्ति की कुंडली में उस से जुड़े सभी राज दबे होते हैं, कुंडली देख कर आने वाले कल के साथ बिता हुआ कल भी देखा जा सकता हैं, कुंडली यह भी बता सकता है कि उसमें कितनी प्रजनन क्षमता है, किसी व्यक्ति के नपुंसक होने का प्रमाण उसकी कुंडली भी दे सकता है।

धार्मिक मानता के अनुसार किन्नर के पैदा होने का कारण
जन्म के समय कुंडली में शनि छठे या बारहवें घर में, कुंभ या मीन राशि पर हों और ऐसे में कोई शुभ ग्रह शनि को नहीं देख रहा हो तो व्यक्ति में प्रजनन क्षमता की कमी हो जाती है और व्यक्ति किन्नर हो सकता है।

मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ आदि राशि में मंगल हो और इसकी दृष्टि लग्न स्थान यानी पहले घर या पहले घर के स्वामी पर हो, तो व्यक्ति में अविकसि‌त जननांग हो सकता है।

किन्नर के होने का साइंटिफिक कारण
वीर्य की अधिकता होने से पुरुष संतान और रक्त की अधिकता से कन्या संतान की प्राप्ति होती है, लेकिन जब गर्भ धारण में रक्त और रज की मात्रा बराबर हो जाती है, तो व्यक्ति नपुंसक पैदा होता है। इसके कारण भी किन्नर का जन्म हो जाता हैं।

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